अग्नीपथ योजना की शुरुआत 14 जून 2022 को हुई थी और इसके शुरू होने के बाद देशभर में काफी विरोध किया गया था। इसी को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में भी कई याचिकाएं दायर की गई थी। सभी युवाओं की मांग थी कि अग्नीपथ योजना युवाओं के भविष्य के लिए सही नहीं है और इस पर रोक लगाया जाना चाहिए। दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा आज दायर की गई सभी 23 याचिकाओं को रद्द कर दिया है और अग्नीपथ योजना को पूरी तरह से सेना के लिए सही बताया है।
अग्नीपथ योजना को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद शर्मा एवं जस्टिस सुवर्णम प्रसाद की बेंच ने अग्निपथ योजना को लेकर दायर की गई सभी याचिकाओं को रद्द करते हुए फैसला सुनाया है कि अग्नीपथ योजना सेना के भविष्य के लिए बहुत अच्छी योजना है।
अग्नीपथ योजना को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर होने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा 15 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रखा गया था। हाल में ही अग्नीपथ योजना को लेकर वैकेंसी आने वाली है इसी को देखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा आज फैसला सुनाया गया और सभी दायर की गई याचिकाओं को रद्द कर दिया। इस योजना में केंद्र सरकार का बहुत बड़ा समर्थन था।
आपको बता दें कि पिछले साल 14 जून 2022 को अग्नीपथ योजना की शुरुआत की गई थी जिसके तहत 17 वर्ष से 21 वर्ष तक के युवा अग्नीपथ योजना में आवेदन कर सकते हैं और सेना में 4 साल तक सेवा दे सकते हैं। सभी चयनित युवाओं में से 25% युवाओं को आगे भी सेवा देने का मौका दिया जाएगा। इस योजना के शुरू होने के बाद देशभर में युवाओं द्वारा काफी विरोध और उपद्रव किया गया था।
हाल में ही अग्नीपथ योजना में भर्ती प्रक्रिया में बदलाव किया गया है जिसके तहत अब आईटीआई और पॉलिटेक्निक पास युवा अग्नीपथ योजना में आवेदन कर सकते हैं। इस योजना में पहले से प्रशिक्षित युवा भी भाग ले सकते हैं। प्रशिक्षित युवाओं की भर्ती होने से उन्हें ज्यादा ट्रेनिंग देने की जरूरत नहीं होगी।